जैविक खेती क्या है: भारत एक कृषि प्रधान देश है, और यह तथ्य सभी जानते हैं। यहां की लगभग 80% जनसंख्या खेती पर निर्भर है। 1960 के दशक में हरित क्रांति से पहले, भारत में मुख्य रूप से पारंपरिक और जैविक खेती होती थी। लेकिन बढ़ती जनसंख्या और खाद्यान्न की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए रासायनिक खाद और उन्नत बीजों का उपयोग शुरू हुआ। इस बदलाव से देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर तो हुआ, लेकिन खेती घाटे का सौदा बनने लगी।
साठ के दशक में जहां सिर्फ 2 किलोग्राम रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल होता था, वहीं आज यह मात्रा 100 किलोग्राम तक पहुंच चुकी है। इससे लागत कई गुना बढ़ गई है जबकि उत्पादन स्थिर हो गया है। प्रधानमंत्री के 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर वैज्ञानिक भी चुनौती महसूस कर रहे हैं, और इस समस्या का कोई स्पष्ट समाधान अब तक नहीं मिल पाया है।
अब, जैविक खेती (Organic Farming) की ओर लौटने की सलाह दी जा रही है, क्योंकि इसके कई लाभ हैं। खराब होती मिट्टी, खाद्यान्न की घटती गुणवत्ता, मानव और पशुओं में बढ़ती बीमारियां, और पर्यावरणीय संकट इसकी प्रमुख वजहें हैं। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के लिए जैविक खेती एक अच्छा आय का स्रोत बनता जा रहा है।
जैविक और रासायनिक कृषि में क्या अंतर है
कृषि जैविक या रासायनिक नहीं होती, बल्कि ये दोनों खेती की पद्धतियाँ हैं। रासायनिक खेती में जीवन का तत्व नहीं होता, जबकि जैविक खेती में उन खादों का उपयोग होता है जिनमें जीवनदायी तत्व होते हैं। जैविक खादों में विभिन्न प्रकार के जीवाणु होते हैं, जो मिट्टी और पौधों को स्थायी शक्ति प्रदान करते हैं। जीवनधारी खादें, जैसे गोबर, कचरा, और पौधों के पत्ते, प्राकृतिक सड़न प्रक्रिया के बाद तैयार होती हैं और इनमें फसलों को पोषक तत्व प्रदान करने वाले सूक्ष्मजीव होते हैं।
रसायन मुक्त खेती
नशा मुक्त खेती को कई अलग-अलग नामों से पुकारा जाने लगा है, जैसे जैविक खेती, प्राकृतिक खेती, जीरो बजट खेती, टिकाऊ खेती, आवर्तनशील खेती, और वैदिक खेती। इन सभी पद्धतियों में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता। इसके बजाय, हरी खाद, गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट, नेपेड कंपोस्ट जैसी जैविक खादों का इस्तेमाल किया जाता है। जैविक खेती में बाहरी संसाधनों का उपयोग कम से कम किया जाता है, जिससे यह किसानों को प्रकृति के और भी करीब लाती है।
जैविक खेती के क्या फायदे हैं? | Benefits of Organic Farming
रासायनिक खादों के इस्तेमाल से जहां मृदा, चारा, और खाद्यान्न की गुणवत्ता घटती है, वहीं जैविक खादों के प्रयोग से यह गुणवत्ता उल्लेखनीय रूप से बढ़ती है। जिन खेतों में जैविक खाद का उपयोग होता है, उनकी जल धारण क्षमता भी बढ़ जाती है, जिससे फसलों को कम पानी की आवश्यकता होती है।
जैविक खेती अपनाने से किसानों की लागत में 80% तक की कमी आ सकती है। धीरे-धीरे जैविक खेती की ओर रुख करने से फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता में भी सुधार होता है। यह भूमि के जल स्तर को बनाए रखने में सहायक है और निर्यात के लिए जैविक उत्पादों की बिक्री भी तेजी से होती है।
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जैविक खाद कैसे बनाए
जैविक खाद बनाने के लिए पौधों के अवशेष, गोबर, जानवरों का बचे हुए चारे और अन्य घास-फूस को जमीन में 4 फीट गहरे गड्ढे में डालते रहना चाहिए। इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए संस्थान दिल्ली और जैविक खेती केंद्र गाजियाबाद द्वारा डिजाल्वेबल सॉल्यूशन का उपयोग किया जा सकता है।
इसके अलावा, सरकारी संस्थान किसानों को एजोस्पाइरिलम, पीएसबी, और राइजोबियम जैसे जीवाणु खादों के पैकेट सस्ती दरों पर उपलब्ध कराते हैं।
ये जीवाणु खादें मिट्टी में मौजूद नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश जैसे पोषक तत्वों को पौधों तक पहुँचाने में मदद करती हैं। जैविक खेती में किसी भी रसायन का उपयोग नहीं होता; इसमें कीट और फफूंद को प्राकृतिक तरीकों से नियंत्रित किया जाता है, जिससे फसल पोषक और स्वास्थ्यवर्धक होती है।
जैविक खेती में 2-3 साल का समय लगता है, जिसमें धीरे-धीरे रासायनिक खादों को हटाकर जैविक खादों का उपयोग शुरू किया जाता है। आज भारत में जैविक खाद्य उत्पादों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और इनकी उच्च मांग है।
निष्कर्ष,
जैविक खेती एक सतत और लाभकारी कृषि पद्धति है, जो किसानों को रसायनों से मुक्त स्वस्थ्य फसलों के उत्पादन में सहायता प्रदान करती है। भारत में इसकी बढ़ती मांग और वैश्विक बाजार में इसके उत्पादों की लोकप्रियता यह दर्शाती है कि यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है बल्कि किसानों के लिए एक स्थिर आय का साधन भी बन रही है।
यह खेती मिट्टी की उर्वरता, फसल की गुणवत्ता, और जल धारण क्षमता को बढ़ाती है, जिससे कृषि लागत घटती है और उत्पादकता में सुधार होता है। आज की चुनौतियों के समाधान और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए जैविक खेती एक मजबूत विकल्प के रूप में उभर रही है।
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