भारत में मक्का की खेती (Makka ki kheti) किसानों के लिए आमदनी का एक अच्छा जरिया बन चुकी है। इसकी मांग खाने के साथ-साथ पशु चारे, तेल, स्टार्च और बायोफ्यूल जैसी चीजों में भी लगातार बढ़ रही है। अगर आप भी मक्का की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो इसके लिए उन्नत किस्मों को चुनना बहुत जरूरी है।
Bharat Ke Kisan इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि मक्का की कौन-कौन सी उन्नत किस्में हैं जो ज्यादा उपज देती हैं और किसानों को बेहतर लाभ दिला सकती हैं।
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मक्का की खेती (Makka ki kheti) के लिए उन्नत किस्में
P.R.O. 312
यह लंबी अवधि की संकर किस्म आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात के लिए उपयुक्त है।
- उपज: 45-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
- विशेषताएं: पीले नारंगी रंग के दाने, सिंचित क्षेत्र के लिए बेहतर
- पकने का समय: 100-110 दिन
D-941
यह किस्म खासतौर पर मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब के लिए विकसित की गई है।
- उपज: प्रति हेक्टेयर 40-45 क्विंटल
- विशेषताएं: नारंगी-पीले रंग के दाने, संकुलित किस्म
- पकने का समय: 80-85 दिन
- सिंचाई स्थिति: सिंचित व असिंचित दोनों क्षेत्रों के लिए उपयुक्त
V.O. 9639
यह किस्म पूरे भारत में आसानी से उगाई जा सकती है और अच्छी पैदावार देती है।
- उपज: 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
- विशेषताएं: मध्यम अवधि की किस्म, केवल सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त
- पकने का समय: 85-95 दिन
जवाहर मक्का 216
यह किस्म रबी और खरीफ दोनों मौसमों के लिए उपयुक्त है।
- उपज: 50-55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
- विशेषताएं: पीले या नारंगी रंग के दाने, हेलियोथोस्पोरियम पत्ती धब्बा रोग के प्रति सहनशील
- पकने का समय: 90-95 दिन
- क्षेत्र: विशेष रूप से मध्य प्रदेश के लिए विकसित
गंगा 5
मक्का की यह किस्म बेहद लोकप्रिय और उत्पादक है।
- उपज: 55-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
- विशेषताएं: मजबूत पौधे, शंकु आकार के भुट्टे, पीले दाने
- पकने का समय: 90-95 दिन
- क्षेत्र: मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा
- सिंचाई: कम वर्षा (लगभग 30 इंच) वाले असिंचित क्षेत्रों के लिए भी उपयुक्त
Makka ki kheti: उन्नत किस्मों के फायदे
- कम समय में अधिक उपज
- कीट और रोगों से सुरक्षा
- सूखा या बारिश दोनों परिस्थितियों में सहनशील
- बाजार में बेहतर कीमत मिलने की संभावना

मक्का की खेती में कुछ जरूरी बातें
- बीज की बुआई से पहले बीज उपचार जरूर करें।
- खेत की सही तैयारी, नमी प्रबंधन और खाद का संतुलन बहुत जरूरी है।
- जरूरत पड़ने पर फसलों की सुरक्षा के लिए स्प्रे करें।
- फसल चक्र अपनाएं जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे।
निष्कर्ष
मक्का की उन्नत किस्में अपनाकर किसान कम समय में ज्यादा उत्पादन ले सकते हैं और बाजार में बेहतर दाम पाकर मुनाफा बढ़ा सकते हैं। अगर आप भी मक्का की खेती (Makka ki kheti) करने का सोच रहे हैं, तो इन किस्मों में से किसी एक को चुनें और आधुनिक खेती की तकनीकों को अपनाकर खेती को सफल बनाएं।
अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो तो इसे दूसरे किसानों तक जरूर पहुंचाएं। और ऐसी ही खेती से जुड़ी जानकारी के लिए जुड़े रहें Bharat Ke Kisan के साथ।