जैविक खाद बनाने की विधियां: रासायनिक खेती की तुलना में न केवल बराबर बल्कि अधिक उत्पादन दे सकती है। आर्गेनिक कम्पोस्ट (Organic Compost) किसानों की फसल उत्पादकता और मिटटी की उर्वरता दोनों के लिए अत्यंत प्रभावी है। विशेषकर वर्षा आधारित क्षेत्रों में जैविक खेती और भी अधिक लाभदायक साबित होती है। इसके अतिरिक्त, जैविक खेती से उत्पादन की लागत कम होती है, जिससे कृषक भाइयों को अधिक आय प्राप्त होती है।
जैविक खाद तैयार करने की विधि को अपनाकर किसान अपनी भूमि की उर्वरता बढ़ा सकते हैं और रासायनिक खादों पर निर्भरता को कम कर सकते हैं। इस पुरे आर्टिकल को पढने के बाद किसानों को यह समझने की परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी की Organic Farming Compost जैविक खाद कैसे बनाएं?
जैविक खाद तैयार करने की प्रमुख विधियां
बायोगैस स्लरी बनाने की विधि
बायोगैस संयंत्र में गोबर की पाचन प्रक्रिया के दौरान, 25 प्रतिशत ठोस पदार्थ गैस में बदल जाता है और 75 प्रतिशत ठोस पदार्थ खाद के रूप में बदल जाता है, जिसे बायोगैस स्लरी कहा जाता है। एक वर्ष में, दो घनमीटर के बायोगैस संयंत्र में लगभग 50 किलोग्राम प्रतिदिन या 18.25 टन गोबर डाला जाता है। इस गोबर से लगभग 10 टन बायोगैस स्लरी खाद प्राप्त होती है, जिसमें 80 प्रतिशत नमी होती है। यह जैविक खाद खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त है, क्योंकि इसमें 1.5 से 2 प्रतिशत नाइट्रोजन, 1 प्रतिशत सल्फर, और 1 प्रतिशत पोटाश मौजूद होते हैं।
प्रोम बनाने के लिए सबसे पहले गाय या भैंस का 500 किलो गोबर लीजिए, इसके ऊपर से सूखी पत्तियां डाल दीजिए, बाद में ऊपर से 500 किलो रॉक फॉस्फेट का (पाउडर फोम में) छिड़काव करें, फिर वेस्ट डी कंपोजर का छिड़काव करें और इसे कम से कम 30 से 35 दिनों तक ढ़ककर रखें, जिसके बाद जैविक खाद तैयार हो जाएगी।
बायोगैस संयंत्र में गोबर की पाचन क्रिया के बाद अमोनियम नाइट्रेट में 20 प्रतिशत नाइट्रोजन बनता है, जो खेतों में सिंचाई के दौरान फसल पर तुरंत प्रभाव डालता है और उत्पादन को 10-20 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है। स्लरी खाद में नाइट्रोजन, सल्फर, पोटाश और सूक्ष्म पोषक तत्वों के अलावा ह्यूमस भी होता है, जो मिट्टी की संरचना को सुधारने और इसकी जल धारण क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है।
सिंचित खेती में 10 टन सूखी खाद की आवश्यकता होती है, जबकि असिंचित खेती में 5 टन की आवश्यकता होती है। ताजी गोबर गैस स्लरी की सिंचित खेती में प्रति हेक्टेयर 3-4 टन की आवश्यकता होती है। अंतिम बखरनी के दौरान सूखी खाद और सिंचाई के दौरान ताजी स्लरी का उपयोग करें। स्लरी का उपयोग करने से फसलों को तीन वर्षों तक धीरे-धीरे पोषक तत्व मिलते रहते हैं, जिससे उत्पादन में निरंतरता बनी रहती है।
वर्मी कम्पोस्ट (केंचुआ खाद) बनाने की विधि
केंचुआ को भूमि की आंत और कृषकों का सच्चा मित्र कहा जाता है। यह जैविक खाद (organic fertilizer) बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। केंचुआ सेंद्रिय पदार्थ, मिट्टी, और ह्यूमस को मिलाकर जमीन की विभिन्न परतों में फैलाता है। Organic Compost आज के समय में किसानों और खेतों के लिए बेहद उपयोगी है |
इससे मिट्टी में हवा का प्रवेश बढ़ता है, जमीन अधिक पोली हो जाती है, और जलधारण क्षमता में वृद्धि होती है। जैविक खाद के उपयोग से केंचुओं के पेट में रासायनिक और सूक्ष्म जीवाणुओं की प्रक्रिया से नाइट्रोजन, स्फुर, पोटाश और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ जाती है।
वर्मी कम्पोस्ट के प्रयोग से बदबू नहीं होती, मच्छर और मक्खी नहीं पनपते, और यह वातावरण को प्रदूषित नहीं करता। तापमान नियंत्रित रहने से जीवाणु जीवित रहते हैं, जिससे वर्मी कम्पोस्ट लगभग डेढ़ से दो महीने में तैयार हो जाता है।
वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने की विधि
जैविक खाद तैयार करने की विधि में, कचरे से खाद तैयार करने के लिए पहले उसमें से कांच, पत्थर, और धातु के टुकड़े अच्छी तरह से अलग कर लें। इसके बाद, वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए 10×4 फीट का प्लेटफार्म बनाएं, जो जमीन से 6 से 12 इंच ऊंचा हो। इस प्लेटफार्म पर छाया के लिए एक झोपड़ी बनाएं और किनारों पर दो रद्दे ईंटें लगाएं। प्लेटफार्म पर सूखा चारा, तीन से सात क्विंटल गोबर की खाद, और सात से आठ क्विंटल कूड़ाकरकट (कचरा) बिछाकर एक झोपड़ीनुमा आकार देकर अधपका खाद तैयार करें।
दस से पंद्रह दिनों तक झारे से सिंचाई करने से खाद का तापमान कम होता है। फिर, 100 वर्ग फीट के क्षेत्र में 10,000 केंचुए छोड़े जाते हैं। केंचुए छोड़ने के बाद, टांके को जूट के बोरे से ढक दें और चार दिनों तक झारे से सिंचाई करें ताकि 45–50% नमी बनी रहे। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि अधिक गीलापन न हो, क्योंकि इससे हवा बंद हो जाएगी और सूक्ष्म जीवाणु तथा केंचुए मर सकते हैं या काम नहीं कर पाएंगे।