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वर्मी कंपोस्ट (vermi-compost) ने बदली इस किसान की तक़दीर, 50 लाख कमा रहा मुनाफा जाने इसकी कहानी

वर्मी कंपोस्ट (vermi-compost) ने बदली इस किसान की तक़दीर: वर्मी कंपोस्ट (vermi-compost) एक जैविक खाद है, जिसे केंचुओं की मदद से तैयार किया जाता है। इसमें केंचुए जैविक कचरे, जैसे फसल अवशेष, पत्तियां और गोबर को खाकर इसे पोषक तत्वों से भरपूर खाद में बदल देते हैं। वर्मी कंपोस्ट मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के साथ-साथ पौधों के विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। यह रसायनिक खादों का एक बेहतर और पर्यावरण अनुकूल विकल्प है, जिससे खेती में लागत कम होती है और फसल की गुणवत्ता बढ़ती है।

उत्तर प्रदेश का महाराजगंज जिला अपनी कृषि उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, जहां की उपजाऊ भूमि को किसान सबसे उत्तम मानते हैं। यहां के अधिकांश लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़े हुए हैं।

इन्हीं किसानों में से एक हैं प्रगतिशील किसान नागेंद्र पांडेय जी, जो केंचुआ पालन (vermi-compost) के क्षेत्र में अपना अनोखा योगदान दे रहे हैं। नागेंद्र पांडेय से वर्मी कंपोस्ट खरीदने के लिए न सिर्फ आस-पास, बल्कि दूर-दूर से भी लोग आते हैं। नागेंद्र बताते हैं कि उन्होंने इस काम की शुरुआत छोटे पैमाने पर की थी, लेकिन आज वे इस कार्य से लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं।

नागेंद्र पांडेय ने बताई खुद की कहानी

महाराजगंज जिले के नंदना गांव निवासी नागेंद्र पांडेय ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट का काम सिर्फ चालीस केंचुए से शुरू हुआ था। शुरू में उनको कई कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा था।

नागेंद्र पांडेय धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर बड़े स्तर तक पहुँचाया। वर्तमान में 400 से अधिक बेड बनाने और काफी बड़े वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि 40 केंचुए (10 रूपए) से 50 लाख तक की कीमत का सेटअप बनाया गया है। 50 से 60 दिनों में तैयार होने वाले वर्मी कंपोस्ट उनके लिए काफी मुनाफे वाला काम है।

Vermi-compost

नागेंद्र पांडेय के वर्मी कंपोस्ट प्लांट से बहुत से लोगो को रोजगार भी मिला है

नागेंद्र पांडेय ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट में भी बहुत से लोग काम कर रहे हैं। 25 से 30 महिलाएं दैनिक रूप से प्लांट में काम करती हैं। इसके अतिरिक्त, पंद्रह लड़के वर्मी कंपोस्ट के लिए गोबर ढुलाई करते हैं।

यह भी vermi-compost बनाने के लिए गोबर लाने वाले लोगों को रोजगार देता है। यही कारण है कि नागेंद्र पांडेय अपने उद्यम के साथ-साथ लोगों को रोजगार के अवसर भी दे रहे हैं।

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निष्कर्ष:

नागेंद्र पांडेय जी की वर्मी कंपोस्ट से मिली सफलता इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि सही दिशा और मेहनत से खेती में भी बड़े स्तर पर मुनाफा कमाया जा सकता है। उनकी छोटी शुरुआत ने न केवल उन्हें लाखों का मुनाफा दिलाया, बल्कि उनके प्रयासों से कई लोगों को रोजगार भी मिला। 

vermi-compost न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि किसानों के लिए एक स्थायी और लाभदायक व्यवसाय भी है। नागेंद्र पांडेय की कहानी देश के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत है, जो खेती में कुछ नया और फायदेमंद करना चाहते हैं।

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