मशरूम की खेती | Mushroom Ki kheti
मशरूम की खेती | Mushroom Ki kheti

सरकार के प्रोत्साहन से हरियाणा में मशरूम की खेती की तरफ बढ़ा झुकाव।

हरियाणा के किसानों के लिए मशरूम की खेती (Mushroom ki kheti) एक वरदान साबित हो रही है। यहां के युवा भी इस नई खेती से अपनी किस्मत चमकाने में सफल हो रहे हैं। हरियाणा सरकार द्वारा मशरूम की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए अनुदान प्रदान किया जा रहा है, जिससे किसानों का उत्साह और बढ़ रहा है। 

पहले इस क्षेत्र के किसान परंपरागत फसलों जैसे सरसों, तिल, गेहूं, टमाटर और मक्का की खेती करते थे, लेकिन जंगली जानवरों के खतरे के कारण उन्होंने इन फसलों को कम उगाना शुरू कर दिया। अब अधिकांश किसान मशरूम की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जो उन्हें बेहतर मुनाफा दे रही है।

मशरूम की खेती (Mushroom ki kheti) के लिए सबसे उपयुक्त समय कौन-सा है

मशरूम की खेती का अनुकूल समय अक्टूबर के पहले सप्ताह से लेकर मार्च के अंत तक होता है। हरियाणा का वातावरण मशरूम की खेती के लिए काफी अनुकूल है। इस व्यवसाय को छोटे पैमाने पर कम भूमि में भी शुरू किया जा सकता है, जैसे कि एक छोटे से कमरे में। इसके बाद किसान सरकारी अनुदान का लाभ उठाकर इसे बड़े पैमाने पर भी कर सकते हैं, जिससे अधिक मुनाफा प्राप्त हो सकता है।

मशरूम उत्पादन का बेहतरीन तरीका

कम्पोस्ट तैयार करने के लिए पहले धान की पुआल को पानी में भिगोया जाता है और एक दिन बाद इसमें डीएपी, यूरिया, पोटाश, गेहूं का चोकर, जिप्सम, और कार्बोफ्यूडोरन मिलाकर सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है। लगभग डेढ़ महीने बाद कम्पोस्ट तैयार हो जाता है। 

इस कम्पोस्ट को गोबर की खाद और मिट्टी के साथ मिलाकर लगभग डेढ़ इंच मोटी परत बनाई जाती है, जिसके ऊपर दो-तीन इंच कम्पोस्ट की परत चढ़ाई जाती है। नमी बनाए रखने के लिए मशरूम पर दिन में दो-तीन बार स्प्रे किया जाता है। इसके बाद एक-दो इंच और कम्पोस्ट की परत डालकर मशरूम उत्पादन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

यदि आप मशरूम की खेती करना चाहते हैं, तो सबसे पहले मशरूम उत्पान के लिए उपयुक्त शीर्ष कृषि योग्य किस्मों के बारे में जानना बेहद जरूरी है।

मशरूम की खेती | Mashroom Ki kheti
मशरूम की खेती | Mushroom Ki kheti

निष्कर्ष

हरियाणा में मशरूम की खेती ने किसानों के लिए एक नई उम्मीद जगाई है। सरकार द्वारा प्रदान किए जा रहे अनुदान और प्रोत्साहनों के कारण युवा कृषक इस क्षेत्र में रुचि दिखा रहे हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने में सफल हो रहे हैं। परंपरागत फसलों की सीमाओं और जंगली जानवरों के खतरे के चलते किसान अब इस लाभकारी विकल्प की ओर बढ़ रहे हैं।

मशरूम की खेती का अनुकूल मौसम अक्टूबर से मार्च तक होता है, और इसे छोटे स्थानों में भी शुरू किया जा सकता है, जिससे यह विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए भी आकर्षक बन जाता है। सही तकनीक और प्रक्रिया अपनाने पर, किसान इस व्यवसाय को बड़े पैमाने पर बढ़ा सकते हैं और अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं।

इस प्रकार, हरियाणा में मशरूम की खेती न केवल एक कृषि गतिविधि है, बल्कि यह किसानों के लिए एक आत्मनिर्भरता और आर्थिक समृद्धि की दिशा में एक कदम भी है।

लगातार पूछे जाने वाले प्रश्न

मशरूम की फसल कितने दिन में तैयार होती है?

इसे तीन महीने के लिए इस बीज को 10 किलोग्राम गेहूं के भूसे में 10 ग्राम बीज के हिसाब से रखा जाता है। 3 महीने बाद गेहूं के ये दाने मशरूम के रूम में अंकुरित होने शुरू हो जाते हैं। इसके बाद इन्हें 20 से 25 दिनों के लिए पॉलिथीन में डालकर 25 डिग्री तापमान वाले कमरे में रखा जाता है। इसके बाद मशरूम बिकने के लिए तैयार होता है।

भारत में कौन सा मशरूम अधिक लाभदायक है?

बटन मशरूम की खेती भारत में एक लाभदायक उद्योग है। बटन मशरूम देश में व्यावसायिक रूप से सबसे व्यापक रूप से उगाया जाने वाला मशरूम है। बटन मशरूम का उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में व्यापक रूप से किया जाता है और यह अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है।

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