पपीते की खेती
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पपीते की खेती कर अधिक मुनाफा कैसे कमाएँ किसान

पपीते की खेती (Papaya farming) कर अधिक मुनाफा कैसे कमाएँ किसान: पपीता एक जल्दी तैयार होने वाला और अत्यधिक लाभदायक फल है, जिसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। अब इसकी खेती व्यवसायिक रूप से बड़े पैमाने पर की जा रही है, हालांकि यह मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ही होती है।

स्वास्थ्य के लिए पपीता बहुत फायदेमंद है, क्योंकि इसमें पपेन और पैक्टिन जैसे तत्व होते हैं। पपेन एक महत्वपूर्ण औषधि है, जो पपीते के कच्चे फलों से निकाला जाता है।

अगर आप पपीते की खेती के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

पपीते की उन्नतशील किस्में | Best papaya variety

पपीते की खेती अच्छी उपज प्राप्त करने में किस्मों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इसलिए हमेशा उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए।

उपलब्ध उन्नत प्रजातियों में पूसा डेलीसस 1-15, पूसा मैजिस्टी 22-3, पूसा जायंट 1-45-वी, पूसा ड्वार्फ 1-45-डी, पूसा नन्हा या म्युटेंट ड्वार्फ, सी०ओ०-1, सी०ओ०-2, सी०ओ०-3, सी०ओ०-4, कुर्ग हनी, और हनीडीयू शामिल हैं।


पपीते की खेती में पौधों को कैसे तैयार किया जाता है?

पपीते की खेती में पौधे तैयार करने के लिए पहले उन्हें 10 सेमी ऊँची, 3 मीटर लंबी और 1 मीटर चौड़ी क्यारी, गमले, या पॉलिथीन बैग में उगाया जाता है।

बीज बोने से पहले क्यारी को 10% फार्मेल्डिहाइड घोल से उपचारित किया जाता है। फिर बीज को 1 सेमी गहरे और 10 सेमी की दूरी पर बोया जाता है।

लगभग 60 दिन बाद, जब पौधे 15 से 25 सेमी ऊँचाई के हो जाएँ, तब इन्हें मुख्य खेत में रोपित किया जाता है।

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पपीता के पौधों का रोपण किस मौसम में किया जाता है? | What is the growing season for papaya?

भारत में पपीते की रोपाई तीन अलग-अलग मौसमों में की जाती है, और पौधे को रोपाई से 60 दिन पहले तैयार किया जाता है। पहली रोपाई जून-जुलाई में होती है, इसके बाद सितम्बर-अक्टूबर में, और अंत में फरवरी-मार्च में रोपाई की जाती है।

दक्षिण भारत में सामान्यतः फरवरी-मार्च के दौरान रोपाई की जाती है। पौधों की रोपाई दोपहर 3 बजे के बाद करनी चाहिए।

रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करना अत्यंत आवश्यक है। प्रत्येक गड्ढे में 2-3 पौधे थोड़ी दूरी पर लगाए जाते हैं। जब तक पौधे पूरी तरह से स्थापित न हो जाएं, तब तक प्रतिदिन शाम 3 बजे के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए।

जब फूल आने लगें, तो 10% नर पौधे को छोड़कर शेष सभी नर पौधों को हटा देना चाहिए।

पपीते की खेती
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पपीते के पौधों में पोषण प्रबंधन

पपीता एक तेजी से बढ़ने और फल देने वाला पौधा है, इसलिए इसे अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।

अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए प्रति पौधा 250 ग्राम नाइट्रोजन, 150 ग्राम फास्फोरस, और 250 ग्राम पोटाश प्रति वर्ष देना चाहिए। इस मात्रा को पौधे के चारों ओर 2 से 4 बार थोड़े-थोड़े अंतराल पर देना चाहिए।

पपीते की फसल में मिट्टी चढ़ाना बहुत जरूरी है। जब पौधा गड्ढे में लगाया जाता है, तो उसकी जड़ के आसपास 30 सेमी की गोलाई में मिट्टी को ऊँचा कर दिया जाता है, ताकि सिंचाई का पानी पौधे के पास जमा न हो और पौधा सीधा खड़ा रहे।

फसल में जल प्रबंधन

वर्षा ऋतू में वर्षा न होने पर पपीते को आवश्यकतानुसार सिचाना चाहिए, गर्मियों में 6 से 7 दिन और सर्दियों में 10-12 दिन के अंतराल पर सिचाना चाहिए, सिंचाई का पानी पौधे के सीधे संपर्क में नहीं आना चाहिए।

खेत की लगातार सिंचाई से मिट्टी बहुत कड़ी हो जाती है, जिससे पौधों की वृद्धि प्रभावित होती है। हर दो या तीन सिचाई के बाद खेत में हल्की निराई करनी चाहिए, ताकि हवा और पानी का अच्छा संचार हो सके।

फलों की तुड़ाई और पैदावार

फलों को चिड़ियों से बचाना बेहद जरूरी है, इसलिए उन्हें पकने से पहले ही तोड़ लेना चाहिए। जब फल की ऊपरी सतह पर खरोंच लगाने पर दूध या पानी जैसा तरल निकलने लगे और उनका रंग बदलने लगे, तो समझें कि फल पक चुका है और इसे तोड़ लेना चाहिए।

फलों को सुरक्षित तोड़ने के बाद, उन्हें कागज या अखबार में लपेटकर लकड़ी या गत्ते के बॉक्स में अलग-अलग रखकर बिछाएं। फिर बॉक्स को बंद करके बाजार में भेजें, ताकि फल सुरक्षित रहें और अच्छे दाम मिल सकें।

उपज उचित देखभाल, जलवायु और मिट्टी की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। सही प्रबंधन के साथ, हर पेड़ एक मौसम में 35 से 50 किलो फल देता है, और प्रति हेक्टेयर 15 से 20 टन की उपज प्राप्त होती है।

निष्कर्ष

पपीते की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक और सफल व्यवसाय साबित हो सकती है, बशर्ते सही प्रबंधन और देखभाल की जाए। उन्नत किस्मों का चयन, उचित रोपाई के समय और तकनीकों का पालन, साथ ही पौधों के पोषण और सिंचाई प्रबंधन से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। 

फलों को समय पर तोड़कर और सही तरीके से पैकिंग कर बाजार में भेजने से किसानों को बेहतर मुनाफा मिल सकता है। पपीता तेजी से बढ़ने वाला पौधा है, जिससे किसान जल्दी ही उपज प्राप्त कर सकते हैं और अपने आर्थिक लाभ को बढ़ा सकते हैं।

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