गेंदा के फूल की खेती औषधीय गुणों से भरपूर हर साल कमा सकते है लाखों रुपए: गेंदा के फूल की खेती (genda ke phool ki kheti) न केवल अपनी सुंदरता और सुगंध के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी इसे बेहद महत्वपूर्ण बनाते हैं। इस लेख में, हम गेंदे के फूल के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानेंगे।
गेंदे का फूल विभिन्न बीमारियों में लाभकारी होता है, इसलिए इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी किया जाता है। इसमें मिनरल्स, विटामिन बी, विटामिन ए और एंटीऑक्सीडेंट जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और कई बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं।
भारत में गेंदे के फूल का धार्मिक और सामाजिक समारोहों में विशेष महत्व है। इसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों से लेकर शादी-ब्याह में बड़े पैमाने पर किया जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गेंदे का फूल न केवल सजावट में बल्कि स्वास्थ्य सुधार के लिए भी उपयोगी है।
इसके अलावा, गेंदे के फूल का उपयोग मुर्गियों के आहार में भी किया जाता है, जिससे अंडों की गुणवत्ता में सुधार होता है और वे अधिक आकर्षक दिखते हैं। इस प्रकार, गेंदे के फूल का बहुआयामी उपयोग इसे एक महत्वपूर्ण औषधीय और व्यावसायिक संसाधन बनाता है।
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गेंदा के फूल के औषिधीय गुण
गेंदे के फूल में कई औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर को विभिन्न बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं गेंदे के फूल के कुछ महत्वपूर्ण औषधीय लाभों के बारे में:
- कान के दर्द में राहत: गेंदे की ताज़ी पत्तियों का रस निकालकर कान में डालने से कान के दर्द में आराम मिलता है। यह कान के संक्रमण को भी ठीक करने में सहायक होता है।
- रोगाणु रोधी गुण: गेंदे की पत्तियों का रस खुजली, दाद, या फोड़े पर लगाने से राहत मिलती है। इसकी पत्तियां एंटीसेप्टिक की तरह काम करती हैं और त्वचा संक्रमणों को ठीक करती हैं।
- अपरस और त्वचा रोग: गेंदे की पत्तियों का रस शरीर पर होने वाले लाल चकत्ते (अपरस) को कम करने में भी उपयोगी होता है। इसे सीधे प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से जलन और चकत्ते में आराम मिलता है।
- आंतरिक चोट और मोच में आराम: यदि अंदरूनी चोट या मोच आए, तो गेंदे की पत्तियों का रस निकालकर प्रभावित हिस्से की मालिश करने से सूजन और दर्द में राहत मिलती है।
- रक्तस्राव रोकने में सहायक: कटने या चोट लगने पर यदि गेंदे की पत्तियों का रस प्रभावित क्षेत्र पर लगाया जाए, तो रक्तस्राव को रोका जा सकता है। यह गुण प्राकृतिक रूप से रक्त को थक्का बनाने में मदद करता है।
- खून की सफाई: गेंदे के फूल से निकाले गए अर्क का सेवन करने से खून साफ होता है। यह शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त करने में सहायक होता है और त्वचा को स्वस्थ बनाता है।
- खूनी बवासीर में उपयोगी: ताजे गेंदे के फूलों का रस निकालकर पीने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है। इसका सेवन आंतरिक रक्तस्राव को नियंत्रित करने में सहायक माना जाता है।
गेंदे का यह औषधीय उपयोग न केवल प्राकृतिक उपचार के रूप में काम करता है बल्कि इसे आयुर्वेद में भी विशेष स्थान प्राप्त है।
गेंदा के फूल की खेती के लिए कैसी भूमि होनी चाहिए ?
गेंदा के फूल की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली भूमि उपयुक्त मानी जाती है। इसके लिए मटियार, दोमट, और बलुई मिट्टी को सबसे बेहतर समझा जाता है, क्योंकि यह मिट्टियाँ पर्याप्त पोषक तत्वों के साथ-साथ जल का सही प्रवाह सुनिश्चित करती हैं, जिससे पौधों का स्वस्थ विकास होता है।
गेंदा के फूल की खेती के लिए मिट्टी कैसे तैयार करें?
खेत की जुताई कम से कम 3 से 4 बार करें। जुताई के बाद पाटा चलाकर भूमि को समतल बना लें। जब मिट्टी भुरभुरी हो जाए, तब खेत में क्यारियां तैयार कर लें, ताकि पौधों की अच्छी वृद्धि हो सके और जल निकासी भी सही रहे।
गेंदा की खेती की व्यावसायिक किस्में कौन सी है ?
अफ्रीकी गेंदा: इस किस्म के पौधे शाखाओं सहित लगभग 1 मीटर तक ऊँचे होते हैं। इसके फूल गोलाकार होते हैं और पीले तथा नारंगी रंग में बहुगुणी पंखुड़ियों के साथ आते हैं। कुछ पौधे 20 सेंटीमीटर की ऊँचाई तक भी पहुंच सकते हैं। इस किस्म के बड़े फूलों का व्यास 7 से 8 सेंटीमीटर तक होता है। व्यवसायिक रूप से उगाए जाने वाले अफ्रीकी गेंदे के प्रमुख प्रकारों में पूसा ऑरेंज, अफ्रीकी येलो, और पूसा वसंतू शामिल हैं।
फ्रांसीसी गेंदा: इस किस्म के पौधे अपेक्षाकृत छोटे होते हैं, जिनकी ऊंचाई 25 से 30 सेंटीमीटर तक होती है। इस किस्म में फूलों की भरमार होती है, जिससे पूरा पौधा फूलों से ढका हुआ दिखाई देता है। फ्रांसीसी गेंदे की उन्नत किस्मों में कपिड येलो, बटन स्कॉच, बोलेरो, और रेड ब्रोकेट प्रमुख हैं।
गेंदा के फूल की खेती में खाद और उर्वरक का उपयोग
जुताई से पहले गेंदे के खेत में प्रति एकड़ लगभग 200 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद डालें। खाद डालने के बाद खेत की गहरी जुताई करें ताकि खाद मिट्टी में अच्छी तरह मिल सके।
इसके बाद खेत में प्रति एकड़ 120 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो फॉस्फोरस, और 70 किलो पोटाश डालें। अंतिम जुताई के समय फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा मिट्टी में मिला दें। नाइट्रोजन की आधी मात्रा को पौधों की रोपाई के बाद, 30 से 40 दिनों के अंदर खेत में डालें ताकि पौधों की बेहतर वृद्धि हो सके।
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निष्कर्ष
गेंदा के फूल की खेती किसानों के लिए न केवल सौंदर्य और सुगंध का स्रोत है, बल्कि इसके औषधीय गुण इसे और भी मूल्यवान बनाते हैं। यह फूल कई बीमारियों के उपचार में सहायक होता है, जैसे कान के दर्द, खुजली, और फोड़े-फुंसियों का इलाज। इसके अलावा, गेंदे का रस खून को साफ करने और खूनी बवासीर में भी राहत प्रदान करता है। इन लाभकारी गुणों के साथ, गेंदे की खेती एक लाभकारी व्यवसाय भी है।
गेंदा के फूल की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और खाद प्रबंधन सुनिश्चित करना आवश्यक है। मटियार, दोमट, और बलुई मिट्टी में इसकी खेती बेहतर होती है, और सड़ी हुई गोबर की खाद के साथ-साथ नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश का उचित उपयोग पौधों की वृद्धि और फूलों की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
अफ्रीकी और फ्रांसीसी गेंदा जैसी उन्नत किस्में व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। इनकी खेती से किसान हर साल लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं, जो इसे किसानों के लिए एक स्थिर और लाभदायक विकल्प बनाता है।