भैंस पालन | buffalo farming
भैंस पालन

भारत में भैंस पालन में अधिक दूध उत्पादन के लिए: 4 बेहतरीन नस्लें और उनके लाभ

भारत में भैंस पालन में अधिक दूध उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए सही नस्लों का चयन महत्वपूर्ण है। Dairy farming किसानों के लिए आमदनी बढ़ाने का एक उत्तम साधन बनता जा रहा है, खासकर उन्नत नस्लों के भैंसों की देखभाल के साथ। भैंस पालन का व्यवसाय गाँवों और शहरी क्षेत्रों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, और आजकल कई लोग इस भैंस पालन (Buffalo farming) व्यवसाय के माध्यम से अच्छी आमदनी कमा रहे हैं।

यदि आप भैंस पालन शुरू करना चाहते हैं, तो सही नस्ल का चयन करना आवश्यक है, क्योंकि सही नस्लें चुनने से न केवल भैंसों की देखभाल सरल होती है, बल्कि दूध उत्पादन भी बढ़ जाता है। यह आपकी आय को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। दूध को एक प्रकार का अमृत माना जाता है क्योंकि यह देशवासियों को स्वास्थ्य और शक्ति प्रदान करता है |

1. भैंस की भदावरी नस्ल

भदावरी नस्ल की भैंस भैंस पालन (Buffalo farming) के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यह नस्ल मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के भिंड और मुरैना जिलों, साथ ही उत्तर प्रदेश के आगरा और इटावा क्षेत्रों में पाई जाती है। भदावरी भैंस का औसत कद लगभग 124 सेंटीमीटर और शरीर की लंबाई करीब 134 सेंटीमीटर होती है, जबकि इसका औसत वजन 410 किलोग्राम तक होता है। जन्म के समय इसका वजन करीब 25 किलोग्राम होता है।

भैंस पालन में भदावरी नस्ल की खास बात यह है कि एक ब्यांत (लैक्टेशन) में यह भैंस 540 से 1400 लीटर तक दूध देती है। इसके दूध में 6 से 13 प्रतिशत तक फैट की मात्रा होती है, जिससे यह उच्च गुणवत्ता वाला दूध प्रदान करती है। इसके अलावा, इस नस्ल की पहली ब्यांत की आयु 13 से 21 महीने होती है, जो इसे तेजी से दूध उत्पादन करने वाली नस्ल बनाती है।

अगर आप भैंस पालन का व्यवसाय करना चाहते हैं, तो भदावरी नस्ल की भैंस एक अच्छा विकल्प हो सकती है।

2. भैंस पालन की बन्नी नस्ल

भैंस की बन्नी नस्ल (Banni breed) गुजरात के कच्छ जिले में पाई जाती है और इसे इसकी कॉम्पैक्ट, पच्चर आकार की शारीरिक संरचना के लिए जाना जाता है। इस नस्ल की भैंस की औसत शरीर लंबाई लगभग 153 सेंटीमीटर होती है, जबकि पूंछ की लंबाई 85 से 90 सेंटीमीटर तक हो सकती है।

नर बन्नी भैंस का वजन 525-562 किलोग्राम होता है, जबकि मादा भैंस का वजन 475-575 किलोग्राम तक पहुंच सकता है। यह भैंस मुख्य रूप से काले रंग की होती है, लेकिन कुछ भैंसों में 5% तक भूरा रंग भी देखा जा सकता है। इसके शरीर के निचले हिस्सों, माथे और पूंछ पर सफेद धब्बे होते हैं। बन्नी मादा भैंस के सींग आमतौर पर ऊर्ध्वाधर दिशा में मुड़े हुए होते हैं, और कभी-कभी ये उलटी दोहरी गोलाई में भी देखे जा सकते हैं।

दूध उत्पादन की बात करें तो बन्नी भैंस एक ब्यांत में 1095 से 6054 लीटर तक दूध देती है और प्रति दिन इसका औसत उत्पादन 10 से 18 लीटर तक होता है। इसके दूध में 4% से 12% तक फैट की मात्रा पाई जाती है, जो इसे उच्च गुणवत्ता वाले दूध के लिए उपयुक्त बनाता है।

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3. भैंस की सुरती नस्ल

भैंस की सुरती नस्ल (Surti breed of buffalo) को मुख्य रूप से गुजरात के वडोदरा, कच्छ, खेड़ा, और सूरत जिलों में पाला जाता है। इस भैंस की औसत ऊंचाई लगभग 130 सेंटीमीटर होती है और शरीर की लंबाई 149 सेंटीमीटर तक हो सकती है। सुरती भैंस का कुल वजन लगभग 401 किलोग्राम तक होता है।

यह नस्ल अपने एक ब्यांत में लगभग 1667 लीटर दूध का उत्पादन करने के लिए जानी जाती है। सुरती भैंस के पहले ब्यांत की आयु लगभग 35 से 58 महीने तक होती है। इसके दूध में 4% से 9% तक फैट की मात्रा पाई जाती है, जिससे यह दूध गुणवत्तापूर्ण और पौष्टिक होता है।

4. भैंस पालन की जाफराबादी नस्ल

भैंस की जाफराबादी नस्ल (Jafrabadi breed of buffalo) गुजरात के अमरेली, भावनगर, जामनगर, राजकोट, और पोरबंदर जिलों में सबसे ज्यादा पाई जाती है। इस नस्ल की भैंस की ऊंचाई लगभग 139 सेंटीमीटर और शरीर की लंबाई करीब 157 सेंटीमीटर तक होती है। जाफराबादी भैंस का कुल वजन लगभग 620 किलोग्राम तक हो सकता है, जिससे यह बड़ी और मजबूत मानी जाती है।

यह नस्ल एक ब्यांत में लगभग 2150 से 2340 लीटर तक दूध का उत्पादन करती है। जाफराबादी भैंस का पहला ब्यांत लगभग 41 से 55 महीनों में होता है, और इसके दूध में 7% से 9% तक फैट की मात्रा पाई जाती है, जो इसे काफी पौष्टिक बनाता है।

निष्कर्ष | Conclusion

भैंस पालन से अधिक आय प्राप्त करने के लिए सही नस्ल का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। भारत में उपलब्ध उन्नत नस्लें, जैसे भदावरी, बन्नी, सुरती और जाफराबादी भैंस, किसानों को अधिक दूध उत्पादन और बेहतर लाभ देने में मदद करती हैं। इन नस्लों के दूध में उच्च फैट की मात्रा होती है, जो उन्हें बाजार में अधिक मूल्यवान बनाता है। इसके अलावा, इन नस्लों की देखभाल अपेक्षाकृत आसान है, जिससे भैंस पालन का व्यवसाय और भी अधिक लाभदायक हो सकता है।

यदि किसान इन बेहतरीन नस्लों का चयन करते हैं, तो वे अपनी आमदनी में वृद्धि कर सकते हैं और लंबे समय तक इस व्यवसाय को सफलतापूर्वक चला सकते हैं।

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लगातार पूछे जाने वाले प्रश्न

10 लीटर दूध देने वाली भैंस की कीमत क्या है?

10 लीटर क्षमता, मुर्रा क्रॉस भैंस, ₹51,000.

 5 भैंस में कितनी कमाई होती है?

अगर आप स्‍वयं काम नहीं करते हैं तो 5 पशुओं के लिए आपको एक नौकर रखना होगा, जो दूध निकालने से लेकर बाकी सारे काम कर देगा. इस तरह आपको शुरुआत में कम से कम 3.50 लाख रुपये लगाने होंगे. भैंस आमतौर पर 12 लीटर दूध प्रतिदिन देती है, जबकि गाय 18 लीटर दूध देती है. इस तरह 5 पशुओं से आपको रोजाना 90 लीटर दूध मिलेगा.

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