कृषि वनों का मृदा और मानव स्वास्थ्य में महत्व: कृषि वनों की अवधारणा प्राचीन काल की प्राकृतिक खेती को एक नया रूप देने का प्रयास है, जहां किसान पौधों का चयन उनकी उपयोगिता और आर्थिक लाभ को ध्यान में रखते हुए करते हैं। इसके साथ ही, कृषि वनों में वनों की डिज़ाइनिंग की जाती है, जिसमें प्रसंस्करण उद्योग और बाजारों का समावेश सुनिश्चित किया जाता है।
इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य दाल-रोटी जैसी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति के साथ-साथ पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखना है, जिससे मृदा और मानव स्वास्थ्य दोनों को लाभ होता है।
मृदा, पौधों और मानव स्वास्थ्य पर कृषि वनों के सकारात्मक प्रभाव
कृषि वन (Agricultural forest) एक कृषि प्रणाली है, जिसमें पेड़, घास, घरेलू पशु, हेजेज, विंड ब्रेक, और अन्य बारहमासी पौधों का समावेश होता है।
यह प्रणाली भोजन, फाइबर और रसायन उत्पन्न करने के साथ-साथ प्राकृतिक वनों की पारिस्थितिकी तंत्र प्रक्रियाओं की नकल करती है।
इसका मुख्य उद्देश्य एक स्थायी जीवन प्रणाली विकसित करना है, जो विशेष रूप से उन क्षेत्रों में मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा कर सके, जहां मिट्टी और पर्यावरण की स्थिति चुनौतीपूर्ण होती है।
Main Points
- औषधीय और सुगंधित पौधे: ये उच्च मूल्य वाले औद्योगिक पौधे आय और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
- प्रसंस्करण और विपणन: चयनित पौधों की खेती, उनकी फसल का प्रसंस्करण और विपणन इस प्रणाली को आर्थिक रूप से लाभकारी बना सकता है।
- स्थानीय समुदायों का सशक्तिकरण: यह प्रणाली स्थानीय ग्रामीण समुदायों को सक्षम बनाती है कि वे अपने लिए भोजन, चारा, लकड़ी और विशेष कृषि उत्पाद पैदा कर सकें।
- सूक्ष्म जलवायु का लाभ: पहाड़ी क्षेत्रों में विशेष फसलों की इष्टतम रोशनी और संरक्षित खेती से सूक्ष्म जलवायु का भरपूर लाभ उठाया जा सकता है।
- विविधता के विकल्प: कठोर पेड़, झाड़ियाँ, बेलें और जड़ी-बूटियाँ खेतों में उत्पादन और मूल्य-वर्धित उत्पाद बनाने के लिए उपयुक्त हो सकती हैं।
- इस प्रकार, “कृषि वन” एक व्यवहार्य विकल्प है जो चुनौतीपूर्ण कृषि परिस्थितियों में भी बड़े अवसर प्रदान करता है। यह न केवल मिट्टी और पौधों के स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
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समग्र कृषि: वनरोपण और बारहमासी वनस्पति आवरण के साथ वैकल्पिक खेती पैटर्न
वनरोपण और बारहमासी वनस्पति आवरण: चयनित पेड़ों, झाड़ियों और बेलों के साथ वनरोपण और बारहमासी वनस्पति आवरण को बढ़ावा देना एक वैकल्पिक कृषि प्रणाली के रूप में अपनाया जा सकता है।
नकदी फसलें: विशेष रूप से जानवरों से कम नुकसान पहुंचने वाली नकदी फसलों की खेती एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है।
कठोर और प्राकृतिक पौधे: कठोर पेड़, झाड़ियाँ, चढ़ने वाले पौधे और प्राकृतिक उत्पाद देने वाली जड़ी-बूटियाँ खेत में उगाई जा सकती हैं, जिससे आवश्यक तेल, हर्बल दवाइयां, और उच्च गुणवत्ता वाले फैटी एसिड जैसे मूल्य-वर्धित उत्पादों का उत्पादन किया जा सकता है।
विविध फसल विकल्प: समस्याग्रस्त कृषि परिस्थितियों में “कृषि वन” विविध फसल विकल्पों और मूल्य-वर्धित उत्पादों के लिए महत्वपूर्ण संभावनाएँ प्रदान करता है।
सूक्ष्म योजना: व्यक्तिगत परिवार स्तर पर सूक्ष्म योजना का क्रियान्वयन निर्दिष्ट कृषि पारिस्थितिकी स्थिति (AES) में प्रभावशाली बदलाव ला सकता है।
जटिलता का सरलीकरण: सूक्ष्म योजना के माध्यम से जटिल कृषि प्रणालियों को सरल बनाकर छोटे किसान परिवारों के लिए खेती को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी के प्रभाव
मिट्टी फसल उत्पादन और पशुपालन का प्राकृतिक आधार होती है, इसलिए इसकी उर्वरता सीधे कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और उनमें मौजूद खनिज तत्वों पर प्रभाव डालती है।
मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी न केवल पैदावार में कमी का कारण बनती है, बल्कि उत्पादों में मौजूद खनिज पोषक तत्वों की मात्रा को भी घटा देती है। ऐसी स्थिति में, पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य और पशु आहार की कमी से, मनुष्यों और पशुओं में खनिज तत्वों की कमी होने की संभावना बढ़ जाती है, जो उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकती है।
स्वस्थ मिट्टी, स्वस्थ पौधे, स्वस्थ जीवन
हमारी आंतों और पौधों की जड़ों में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों का एक आपसी संबंध होता है। जैसे हमारे आंतों में सूक्ष्मजीव हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं, वैसे ही पौधों में मौजूद सूक्ष्मजीव भी हमारी सेहत को प्रभावित करते हैं। जब हम जैविक और सूक्ष्मजीवों से भरपूर फल और सब्ज़ियाँ खाते हैं, तो यह हमारे आंत स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
जिस प्रकार एंटीबायोटिक्स हमारे आंतों के सूक्ष्मजीवों को नुकसान पहुंचाते हैं, उसी प्रकार कीटनाशक पौधों के सूक्ष्मजीवों और हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
निष्कर्ष
कृषि वनों का महत्व मृदा और मानव स्वास्थ्य दोनों में अहम भूमिका निभाता है। इस प्रणाली में पारंपरिक खेती के साथ वनों के संयोजन द्वारा मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया जाता है, जिससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और साथ ही मानव स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पौधों के सूक्ष्मजीव और मानव आंत के सूक्ष्मजीव आपस में जुड़े होते हैं, जिससे स्वस्थ मिट्टी स्वस्थ फसलें और अंततः स्वस्थ मानव जीवन को जन्म देती है।
कृषि वनों में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती, प्रसंस्करण और विपणन से आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है, जो स्थानीय समुदायों के सशक्तिकरण और रोजगार सृजन के लिए भी महत्वपूर्ण है। सूक्ष्म जलवायु के लाभ और विविध फसल विकल्प इस प्रणाली को कठिन कृषि परिस्थितियों में भी प्रभावी बनाते हैं। कृषि वनों का यह मॉडल न केवल पर्यावरणीय स्थिरता में मदद करता है बल्कि मानव और मृदा स्वास्थ्य को भी दीर्घकालिक लाभ पहुंचाता है।
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