गन्ने का लाल सड़न रोग (गन्ने का कैंसर) , ऐसे करे पहचान और इलाज: गन्ना हमारे देश की एक महत्वपूर्ण औद्योगिक नगदी फसल है। यह गुड़ और शक्कर उत्पादन का प्रमुख स्रोत है, भारत विश्व में दूसरे स्थान पर गन्ने का उत्पादन करता है।
फिर भी, प्रति हेक्टेयर गन्ने की उपज अपेक्षाकृत कम है। इसके कई कारणों में प्रमुख कारण गन्ने के रोग हैं, जिनसे उत्पादन, गुड़ और शक्कर की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गन्ने का लाल सड़न रोग (red rot disease of sugarcane) से संक्रमित खेत में तुरंत कोई अन्य रोग रोधी गन्ना किस्म की बुआई कम से कम एक साल तक न करें. सुविधानुसार गेहूं-धान- हरी खाद या उपयुक्त फसलों के साथ फसल चक अपनाकर ही बुआई करें. अधिक बारिश होने पर लाल सड़न से संक्रमित खेत का पानी किसी दूसरे खेत में रिसाव रोकने के लिए मेड़ बनाएं.
भारत का गन्ने की खेती में बेहतर उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में इसकी सबसे ज्यादा खेती होती है और सबसे अधिक चीनी मिलें भी इन्हीं दो प्रदेशों में हैं।
गन्ने की फसल को पानी की बहुत आवश्यकता होती है, लेकिन इसमें कई रोग भी लगते हैं, जिनकी रोकथाम में किसानों को काफी खर्च करना पड़ता है।
गन्ने की खेती में लगने वाला एक प्रमुख रोग है लाल सड़न, जिसे रेड रॉट भी कहा जाता है। इसे गन्ने का कैंसर भी माना जाता है, क्योंकि इस रोग के लगने से पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। इसलिए गन्ने की खेती करने वाले किसानों को इस रोग पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसकी पहचान के लिए पहले इसके लक्षण जानना जरूरी है।
गन्ने का लाल सड़न रोग के लक्षण
लाल सड़न मुख्य रूप से खड़ी फसलों को प्रभावित करता है और यह अप्रैल से जून के दौरान अंकुरण के समय और उसके बाद फसल को नष्ट कर सकता है। यह रोग मानसून के दौरान या उसके बाद गन्ने की फसल में दिखाई देता है। इसके प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:
- निचली पत्तियों का सूखना: सबसे पहले निचली पत्तियों के सिरे और किनारे सूखने लगते हैं। कुछ दिनों बाद पूरी पत्ती सूख जाती है, और डंठल का रंग बैंगनी हो जाता है।
- डंठल के आंतरिक ऊतक लाल हो जाते हैं: डंठल के आंतरिक ऊतकों का लाल रंग मुख्य लक्षण है, जो सफेद अनुप्रस्थ धारियों से बाधित होते हैं। प्रभावित ऊतकों से एक विशेष प्रकार की मादक गंध उत्पन्न होती है, जो इस रोग का विशिष्ट संकेत है।
गन्ने का लाल सड़न रोग की पहचान
लाल सड़न रोग की पहचान करना बेहद महत्वपूर्ण है। इस रोग में गन्ने के तनों में लाल-भूरे धब्बे दिखाई देते हैं। तनों को चीरने पर बीच में लाल रंग की पट्टियां दिखती हैं। साथ ही, प्रभावित तनों से बदबूदार स्राव निकलता है।
गन्ने के लाल सड़न रोग की रोकथाम के उपाय
गन्ने के लाल सड़न रोग की रोकथाम के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं। रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें और स्वस्थ बीज का उपयोग करें।
बीज को 52°C गर्म पानी में 30 मिनट तक डुबोकर उपचारित करें। खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करें, ताकि पानी का ठहराव न हो।
फसल चक्र अपनाएं और प्रभावित खेतों में गन्ने की फसल से परहेज करें। रोग के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर प्रभावित पौधों को तुरंत नष्ट करें।
साथ ही, फसल के बाद खेत की गहरी जुताई करें ताकि रोग के स्रोत नष्ट हो सकें।
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लगातार पूछे जानें वाले प्रश्न :
गन्ने में लाल सड़न रोग किसकी कमी से होता है?
गन्ने का लाल सड़न रोग फंगस कोलेटोट्राइकम फाल्कैटम के कारण होता है। यह पत्ती के मुरझाने, स्टबल राइज़ोम और गन्ने के पौधे के डंठल को प्रभावित करता है।
गन्ने की पत्तियां पीली क्यों पड़ रही है?
गन्ने के खेतों में नमी खत्म होने से आयरन की कमी पड़ रही है जिससे गन्ने की फसल की पत्तियां पीली पड़ने लगी हैं।