वन करेला की खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है, जहां इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे मीठा करेला, जंगली करेला, कंटीला परवल, करोल, और भाट करेला। यह एक मौसमी सब्जी है, जो मुख्य रूप से मानसून के दौरान उपलब्ध होती है। इसकी सतह पर कांटेदार रेशे होते हैं, जो इसे अन्य सब्जियों से अलग बनाते हैं। वन करेला आकार में छोटा होता है और इसका वैज्ञानिक नाम Momordica dioica है।
वन करेला मुख्य रूप से बारिश के मौसम में पाया जाता है, जब इसकी बेलें स्वतः ही उगने लगती हैं। यह सब्जी अन्य सब्जियों की तुलना में काफी महंगी होती है, और इसके बीज आसानी से उपलब्ध नहीं होने के कारण इसकी व्यवस्थित खेती करना चुनौतीपूर्ण होता है। मानसून के समाप्त होने के बाद, वन करेले के बीज जमीन पर गिर जाते हैं, और अगले वर्ष पहली बारिश के साथ ही ये बेलें फिर से अंकुरित होने लगती हैं।
वन करेला की खेती की किस्में
वन करेला की दो प्रमुख किस्में खेती के लिए उगाई जाती हैं: छोटे आकार वाले वन करेले और इंदिरा आकार (आर एम एफ 37)। इसका प्रबंधन कंद या बीज के माध्यम से किया जाता है, इसलिए किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना चाहिए।
बुवाई से पहले, यह सुनिश्चित करें कि बीज रोगमुक्त हैं और किसी प्रकार की बीमारी का असर नहीं है, ताकि फसल स्वस्थ रहे और उपज अच्छी हो।
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वन करेला के बीजो की बुवाई
वन करेला की खेती के लिए मिट्टी का पीएच स्तर 6-7 के बीच होना चाहिए। इसकी बुवाई के लिए दोमट और बलुई मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है, लेकिन उच्च पैदावार के लिए दोमट मिट्टी अधिक फायदेमंद साबित होती है। वन करेला के पौधे को अच्छे विकास के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।
इसकी बुवाई के लिए किसी विशेष तकनीक की आवश्यकता नहीं होती। बेहतर अंकुरण के लिए बीजों को रात भर गर्म पानी में भिगोकर रखा जा सकता है। बुवाई करते समय 3-4 इंच की दूरी पर बीज डालें और आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें। बुवाई के कुछ दिनों बाद छोटे-छोटे पौधे उगने लगते हैं।
वन करेला का आहार करने से हो सकते है ,ये लाभ
वन करेला में विटामिन, कैल्शियम, जिंक, कॉपर, और मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसका सेवन विभिन्न बीमारियों में राहत देने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी अत्यधिक लाभकारी होता है। जानिए, इसके फायदे और उपयोग के तरीकों के बारे में।
विटामिन से भरपूर है वन करेला
वन करेला विटामिन ए और बी से भरपूर होता है, जो शरीर में आवश्यक विटामिन्स की कमी को पूरा करने में मदद करता है। यदि महंगी दवाइयों से कोई फायदा न हो, तो आहार में वन करेले को शामिल करने से शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिल सकते हैं। इसके नियमित सेवन से विटामिन की कमी को दूर किया जा सकता है, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।

प्रोटीन और फाइबर की उचित मात्रा
वन करेला प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है। प्रोटीन शरीर में कोशिकाओं की मरम्मत में सहायक होता है, जबकि फाइबर पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है, जिससे पाचन क्रियाएं सुचारु रूप से चलती हैं।
इसकी खेती आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है, और वन करेले की तासीर गर्म होने के साथ ही इसका स्वाद भी लाजवाब होता है। यह बरसात के मौसम में खुजली, पीलिया, और बेहोशी जैसी समस्याओं में लाभकारी साबित होता है। इसके अलावा, इसका सेवन करने से आंखों की समस्याएं, बुखार, और संक्रमण से भी राहत मिलती है। साथ ही, वन करेला ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में भी मददगार है।
कार्बोहायड्रेट से परिपूर्ण
वन करेले में अधिक मात्रा में कार्बोहायड्रेट पाया जाता है। कार्बोहायड्रेट का सेवन करने से शरीर में फुर्ती और ताकत आती हैं ,जो की किसी भी काम को करने के लिए बेहद आवश्यक रहती है। दिन प्रतिदिन होने वाले कामो के लिए शरीर में ताकत रहना जरूरी है ,बिना ताकत के कोई भी काम नहीं हो पायेगा।
निष्कर्ष
वन करेला की खेती भारत में कई क्षेत्रों में की जाती है और इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे मीठा करेला, जंगली करेला, और कंटीला परवल। यह एक मौसमी सब्जी है, जो मुख्यतः मानसून के दौरान उगती है। इसके पोषण और औषधीय गुण इसे एक महंगी लेकिन स्वास्थ्यवर्धक सब्जी बनाते हैं। विटामिन, प्रोटीन, और फाइबर से भरपूर वन करेला न केवल पोषण की कमी को पूरा करने में सहायक है, बल्कि पाचन तंत्र को भी दुरुस्त रखता है।
वन करेला की खेती के लिए उचित मिट्टी और जलवायु की आवश्यकता होती है, लेकिन इसकी बुवाई की प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल होती है। उच्च गुणवत्ता वाले बीज और सही विधि अपनाकर, किसान बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं। इसके सेवन से शरीर में विटामिन्स की कमी दूर होती है, साथ ही यह खुजली, पीलिया, और संक्रमण जैसी कई बीमारियों में भी लाभदायक है।
वन करेला, जिसे प्राकृतिक रूप से उगाया जाता है, उन लोगों के लिए एक शानदार विकल्प है जो स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हैं। इसकी खेती से किसानों को भी आर्थिक लाभ मिल सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां इसे उगाना आसान है। कुल मिलाकर, वन करेला एक बहुपयोगी सब्जी है जो सेहत और कृषि दोनों दृष्टिकोण से फायदेमंद है।
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