इलायची की खेती (Cardamom Farming): इलायची की खेती कैसे होती है: इलायची, जिसे मसालों की रानी के रूप में जाना जाता है, दक्षिण भारत के पश्चिमी घाटों के घने बरसाती जंगलों की मूल निवासी है। भारत में इसकी खेती लगभग 1,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है।
मुख्य रूप से यह तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल जैसे दक्षिणी राज्यों में उगाई जाती है, जो कुल खेती क्षेत्र का 60.31 प्रतिशत और 9 प्रतिशत हिस्सा कवर करती है।
भारत में इलायची का वार्षिक उत्पादन लगभग 40 हजार मीट्रिक टन है, जिसमें से 60 प्रतिशत से अधिक का निर्यात किया जाता है, जिससे देश को करीब 40 मिलियन रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।
इलायची का उपयोग भोजन, कन्फेक्शनरी, पेय पदार्थ और शराब जैसी कई चीज़ों को स्वादिष्ट बनाने में होता है। इस blog में हम आपको इसकी खेती की पूरी जानकारी देंगे।
इलायची की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु की आवश्यकता
इलायची की खेती के लिए घनी छाया वाले और दोमट मिट्टी वाले क्षेत्र सबसे उपयुक्त माने जाते हैं। इसे 600 से 1500 मीटर की ऊंचाई पर आसानी से उगाया जा सकता है।
इलायची के खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था होना आवश्यक है, ताकि पानी का ठहराव न हो। यह फसल स्वाभाविक रूप से अम्लीय मिट्टी, जिसका पीएच स्तर 5.0 से 6.5 के बीच हो, में अच्छे से बढ़ती है। जून से दिसंबर के बीच का मौसम इलायची उत्पादन के लिए आदर्श माना जाता है।
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इलायची की प्रमुख उन्नत किस्में
इलायची की अच्छी उपज प्राप्त करने में उन्नत किस्मों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इलायची दो प्रकार की होती है: हरी इलायची और भूरी इलायची। भारतीय व्यंजनों में भूरी इलायची का उपयोग खासतौर पर मसालेदार खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है।
इलायची की कुछ प्रमुख उन्नत किस्में हैं: मालाबार, मुदिगिरी 1, मुदिगिरी 2, PV 1, PV-3, ICRI 1, ICRI 3, TKD 4, IISR सुवर्ण, IISR विजेता, IISR अविनाश, TDK-11, CCS-1, सुवासिनी, अप्पानगला 2, विजेता-1, और जलनि (ग्रीन गोल्ड)। इन किस्मों का उपयोग करके किसान बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
इलायची की बुवाई का सही तरीका?
इलायची की बुवाई पुराने पौधों के सकर्स या बीजों का उपयोग करके की जाती है। बुवाई के लिए स्वस्थ और उच्च उपज देने वाले पौधों से बीज एकत्र करना चाहिए।
बीज की मात्रा – 600 ग्राम प्रति हेक्टेयर ताजे बीज की आवश्यकता होती है। इलायची के पौधों को तैयार करने के लिए पहले नर्सरी बनानी पड़ती है। इसके लिए, सड़ी हुई गोबर की खाद, लकड़ी की राख, और जंगल की मिट्टी को बराबर मात्रा में मिलाकर क्यारियां तैयार करें। बीजों या सकर्स को क्यारियों में बोकर उनके ऊपर महीन बालू की पतली परत डालें।
इलायची की पौध उगाने का तरीका
बीज क्यारियों को मल्चिंग और छायां प्रदान करनी जरुरी होती है। क्यारियों को नम रखना चाहिए लेकिन क्यारियों बहुत गीला नहीं होना चाहिए। अंकुरण आमतौर पर बुवाई के एक महीने बाद शुरू होता है और तीन महीने तक जारी रहता है। पौध को द्वितीय नर्सरी में 3 से 4 पत्ती अवस्था में रोपित किया जाता है।
दूसरी नर्सरी का निर्माण
इलायची की खेती के लिए पौधों को बीज या सकर्स (पुराने पौधों के हिस्से) का उपयोग करके बोया जाता है। बीज बुवाई से पहले, स्वस्थ और अधिक उपज देने वाले पौधों से बीज एकत्रित करना जरूरी है। बीज दर लगभग 600 ग्राम प्रति हेक्टेयर रखी जाती है।
बुवाई की प्रक्रिया में सबसे पहले नर्सरी तैयार की जाती है। इसके लिए अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद, लकड़ी की राख और जंगल की मिट्टी को बराबर मात्रा में मिलाकर क्यारियां बनाईं जाती हैं। बीजों या सकर्स को इन क्यारियों में बोया जाता है और उसके बाद बीजों को महीन बालू की पतली परत से ढक दिया जाता है।
अच्छी उपज पाने के लिए उर्वरक और खाद प्रबंधन
फसल की रोपाई से पहले प्रति एकड़ 10 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट का उपयोग करना चाहिए।
उर्वरक की सही मात्रा से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए प्रति एकड़ 30-35 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30-35 किलोग्राम फॉस्फोरस, और 60-65 किलोग्राम पोटाश का उपयोग करें।
उर्वरक को दो बराबर हिस्सों में विभाजित कर उपयोग करें। पहला भाग जून या जुलाई में डालें, इस समय खेत में नमी की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए। दूसरा भाग अक्टूबर या नवंबर में खेत में डालें ताकि फसल को संतुलित पोषण मिलता रहे।
निष्कर्ष:
इलायची की खेती, जिसे ‘मसालों की रानी’ कहा जाता है, भारत के दक्षिणी राज्यों के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है। उचित मिट्टी, जलवायु, और उन्नत किस्मों के चयन से किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं। सही बुवाई तकनीक, नर्सरी प्रबंधन, और समय पर उर्वरक के उपयोग से फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार होता है।
इलायची का बढ़ता निर्यात और घरेलू उपयोग इसे आर्थिक दृष्टिकोण से लाभकारी फसल बनाता है। आधुनिक तकनीकों और सही देखभाल से किसान इसकी खेती से बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।
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इलायची का पौधा कितने दिन में फल देता है?
वहीं इलायची के पौधे में महीने में एक बार जैविक खाद जरूर डालें. इलायची के पौधे में फल लगने में करीब 3 से 4 साल का समय लगता है.
इलायची किस मौसम में होती है?
बारिश का मौसम इसे लगाने के लिए बेस्ट होता है. जुलाई, अगस्त में इसकी खेती करें. इस मौसम में पौधे का ग्रोथ सही तरीके से होता है. आप फरवरी, मार्च में भी इसे लगा सकते हैं