हाल ही में देश के किसान विभिन्न प्रकार की खेती करके अधिक लाभ अर्जित करने में रुचि दिखा रहे हैं। हाल के वर्षों में, किसानों ने मशरूम की खेती की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है।
हालांकि मशरूम की कई किस्में होती हैं, भारत में बटन मशरूम के बाद दूधिया मशरूम, जिसका वैज्ञानिक नाम Calosibindica है, सबसे अधिक उगाया जाता है। दूधिया मशरूम बटन मशरूम की तरह दिखता है, लेकिन इसका तना मोटा, भारी और लंबा होता है।
यह मशरूम विटामिन, खनिज और प्रोटीन से भरपूर होता है और कम जगह में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। इसे लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है।
दूधिया मशरूम की खेती के लिए अनुकूल मौसम
दूधिया मशरूम को उगाने के लिए उच्च तापमान की आवश्यकता होती है, इसलिए इसे गर्म क्षेत्रों में उगाना बेहतर होता है। इसकी खेती के लिए कवक के विकास और बीज अंकुरण के लिए 25-35 डिग्री तापमान और 80 से 90 प्रतिशत नमी की जरूरत होती है।
मशरूम को केसिंग परत लगाने और उत्पादन करने के लिए 30 से 35 डिग्री तापमान और 80 से 90 प्रतिशत नमी चाहिए। उच्च तापमान पर दूधिया मशरूम की पैदावार अच्छी होती है। 38 से 40 डिग्री तक का तापमान इसके लिए सबसे अच्छा होता है।
भूसा या पुआल पर कर सकते हैं खेती
दूधिया मशरूम भी विभिन्न प्रकार की फसलों के अवशेषों पर आसानी से उगाया जा सकता है, जैसे ज्वार, पुआल, गन्ने की खोई, बाजरा, मक्का की कड़वी और भूसा।
ध्यान रहे कि अवशेष भीगे न हों, इसकी खेती सूखे अवशेषों पर करें।
दूधिया मशरूम की खेती में भूसा या पुआल का अधिक उपयोग होता है। उत्पादन कक्ष की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।
कमा सकते हैं लाखों का मुनाफा
जब दूधिया मशरूम की टोपी 5 से 6 से.मी. मोटी हो जाए, तो उसे पका हुआ मान लें और घुमाकर तोड़ें। तने के मिट्टी लगे निचले हिस्से को काट लें और पॉलिथीन बैग में चार से पांच छेद करके पैक करें।
1 किलोग्राम सूखे भूसे से 1 किलोग्राम ताजा मशरूम तैयार होता है। इसकी खेती की लागत 10 से 15 रुपये प्रति किलोग्राम होती है, जबकि बाजार मूल्य 150 से 250 रुपये प्रति किलो है। इस प्रकार किसान कम लागत पर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
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