गन्ना खरीफ सीजन की एक प्रमुख नकदी फसल है, और देश के बहुत से किसान सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से गन्ने की खेती से जुड़े हुए हैं। आज हम उन महत्वपूर्ण कार्यों की चर्चा करेंगे जो खरीफ सीजन में गन्ने की खेती के अच्छे उत्पादन में मदद करते हैं।
सबसे पहले, गन्ने की फसल को झुकने या गिरने से बचाने के लिए अगस्त के प्रथम सप्ताह में बंधाई करनी चाहिए। इसके लिए हर कतार के प्रत्येक झुंड को उसकी सूखी पत्तियों से बीच में बांधना चाहिए।
अगर आपने हरी खाद के लिए ढेंचा या सनई की बुवाई की है, तो 45 से 60 दिनों के भीतर खेत में पाटा चलाकर इसे दबा देना चाहिए और मृदा पलटने वाले हल से खेत की जुताई करनी चाहिए।
गन्ने की खेती में उर्वरक यूरिया का सही उपयोग
शानदार नतीजे हांसिल करने के लिए अगर ढेंचा या सनई में बीते समय सुपर फास्फेट न दिया गया हो तो 40 से 60 किलोग्राम फास्फेट प्रति हैक्टेयर की दर से फसल पलटने के बाद इसे देना चाहिए।
गन्ने की फसल से भरपूर लाभ प्राप्त करने के लिए 5% प्रतिशत यूरिया पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव के एक दिन के अंदर बारिश हो जाने से यूरिया का प्रभाव काफी कम हो जाता है।
गन्ने की अच्छी किस्म का चयन करना बहुत जरूरी
देश के पूर्वी भाग में मध्य सितंबर से गन्ने की बुवाई का कार्य शुरू हो जाता है।
ऐसे में किसान को अभी से अपने खेतों में बुवाई के लिए पौधशालाओं में गन्ने की विभिन्न जातियों का चयन कर लेना चाहिए और बीज का गन्ना प्राप्त करने की व्यवस्था करनी चाहिए।
सितंबर महीने में सामान्य तौर पर कुंडवा, काना, विवर्ण, लालधारी, पोक्का रोग, गूदे की सड़न रोग भी गन्ने को चपेट में ले लेते हैं।
गन्ने की फसल पर नियमित रूप से नजर रखना आवश्यक
ऐसी स्थिति में फसल का समय-समय पर निरीक्षण करना चाहिए। अगर कोई रोग प्रकोप दिखाई दे, तो तुरंत उसकी रोकथाम के उपाय करें। इस महीने गन्ने की फसल में अंकुरबोधक, गुरुदासपुर बेधक, चोटीबेधक, काला चिकटा, सफेद कीट, और पायरिला का संक्रमण हो सकता है, इसलिए फसल का निरीक्षण अवश्य करें।
यदि गन्ने की खेती में आपको किसी रोग का लक्षण नजर आए तो उसकी रोकथाम के अतिशीघ्र उपाय करने अत्यंत जरूरी हैं।
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