आलू की फसल (potato crop) बुवाई के समय कौन कौन सी खाद डालें, आईए जानते हैं: आलू की फसल को उचित विकास के लिए कई पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। यदि आप समय पर पोषक तत्वों और खाद का सही मात्रा में उपयोग करेंगे, तो आपकी फसल बेहतर उपज देगी।
Bharat ke किसान के माध्यम से यहां आप आलू की फसल में पोषण प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे, जो आपकी पैदावार को अधिकतम करने में सहायक होगी।
आलू की फसल की अधिक पैदावार के लिए करें ये कार्य
आजकल किसान 3 से 4 महीनों के दौरान पौधों के विकास के समय 1 से 5 बार खाद डालते हैं। अधिकांश किसान पौधे लगाते समय नाइट्रोजन-फॉस्फोरस-पोटैशियम (N-P-K) 15-15-15 का उपयोग करते हैं, जिसे आलू लगाने की मशीनों के जरिए मिट्टी में डाला जा सकता है।
यह खासकर उन खेतों में किया जाता है, जहाँ पिछले 6 महीनों में सब्जियों की खेती की गई हो। N-P-K 15-15-15 में मौजूद पोटैशियम न केवल तनों को मजबूत करता है बल्कि कोशिकाओं को मोटा कर कुछ रोगों और कीटों के प्रति सहनशीलता भी बढ़ाता है।
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पहले दो महीनों में डालें ये आवश्यक पोषक तत्व
पहले दो महीनों के दौरान, आलू के पौधों को सामान्यतः अधिक मात्रा में नाइट्रोजन (N-P-K 34-0-0) की आवश्यकता होती है, क्योंकि इस समय पौधे की पत्तियों का तेजी से विकास होता है। दूसरे महीने से लेकर कटाई से लगभग दो सप्ताह पहले तक, पौधों को आलू के सही आकार के उत्पादन के लिए अधिक पोटैशियम (19-19-19 या 14-7-21) की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा, कई किसान दूसरे और तीसरे महीने के दौरान पत्तियों पर भी खाद का छिड़काव करते हैं, खासकर जब पौधों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी पाई जाती है। यदि आपकी फसल 60 दिनों से कम की है, तो ध्यान रखें कि 55 दिनों की फसल में 0-52-34 का स्प्रे किया जा सकता है।
हालांकि, इस समय 0-0-50 का उपयोग न करें, क्योंकि इससे फसल समय से पहले पक जाएगी और आलू का आकार छोटा रह जाएगा। 60-65 दिन की फसल में 0-0-50 का प्रयोग करें, इससे बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
हर खेत की आवश्यकताएँ अलग होती हैं, इसलिए किसी भी खाद डालने से पहले मिट्टी की जाँच और स्थानीय कृषि विशेषज्ञ से परामर्श लेना ज़रूरी है। मिट्टी की पोषक तत्वों और pH स्तर की जाँच करके सही निर्णय लें ताकि पैदावार अच्छी हो।
निष्कर्ष
आलू की फसल (potato crop) में पोषण प्रबंधन अत्यधिक महत्वपूर्ण है। सही पोषक तत्वों और खाद का समय पर और संतुलित उपयोग आपकी पैदावार को बढ़ाने में सहायक होता है। फसल के प्रारंभिक दो महीनों में नाइट्रोजन की उच्च आवश्यकता होती है, जबकि बाद के महीनों में पोटैशियम की प्रमुख भूमिका होती है। इसके अलावा, सूक्ष्म पोषक तत्वों की आपूर्ति और सही स्प्रे का समय भी महत्वपूर्ण होता है।
हर खेत की मिट्टी की आवश्यकताएँ अलग होती हैं, इसलिए खाद डालने से पहले मिट्टी की जाँच और कृषि विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें। सही पोषण प्रबंधन से आलू की फसल में बेहतर उपज पाई जा सकती है।
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लगातार पूछे जानें वाले प्रश्न
1. आलू की सबसे अच्छी खाद कौन सी है?
आलू की अच्छी फसल के लिए बोने से पहले पलेवा करना चाहिए। यदि हरी खाद का प्रयोग न किया हो तो 15-30 टन प्रति है0 सड़ी गोबर की खाद प्रयोग करने से जीवांश पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है, जो कन्दों की पैदावार बढाने में सहायक होती है। यूरिया डी. ए.पी.
2. आलू में कितने दिन में पानी देना चाहिए?
यदि आलू की बुआई से पूर्व पलेवा नहीं किया गया है तो बुआई के 2-3 दिन के अन्दर हल्की सिंचाई करना अनिवार्य है। भूमि में नमी 15-30 प्रतिशत तक कम हो जाने पर सिंचाई करनी चाहिए। अच्छी फसल के लिए अंकुरण से पूर्व बलुई दोमट व दोमट मृदाओं में बुआई के 8-10 दिन बाद तथ भारी मृदाओं में 10-12 दिन बाद पहली सिंचाई करें।