मूंग की खेती: रबी फसलों की कटाई शुरू पूरी हो चुकी है। इसके साथ ही किसान अब अगली फसलों की तैयारी में जुट गए हैं। इन दिनों देश के कई हिस्सों में किसान मूंग की खेती (Mung ki Kheti) करने की तैयारी कर रहे हैं।
हालांकि, कई बार किसानों को ये शिकायत रहती है की उन्हें मनचाही पैदावार नहीं मिली। जिस वजह से उन्हें अच्छा मुनाफा नहीं हो पाता है।
आज की इस खबर में हम आपको कृषि सलाहकारों द्वारा बताए गए कुछ खास तरीके बताएंगे, जिससे आपको अच्छी पैदावार मिल सकती है।
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खेत को तैयार करना बेहद जरूरी
किसी भी चीज की खेती करने से पहले खेत को तैयार करना बेहद जरूरी है। कृषि सलाहकारों की मानें तो मूंग की बेहतर पैदावार लेने के लिए सबसे पहले खेतों की गहरी जुताई कर मिट्टी को पलट देना चाहिए।
फिर दो बार कल्टीवेटर से खेत की मिट्टी को ढीला करें। फसलों को दीमक से बचाने के लिए अंतिम जुताई से पहले 1.5% क्विनाफॉस पाउडर 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में फैलाएं, फिर जुताई करके मिट्टी में मिला दें।
मूंग की खेती में सही बीज का चयन करना बेहद जरूरी
मूंग की खेती में सही बीजों का चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। कृषि सलाहकारों की मानें तो किसानों को गर्मी के महीनों के दौरान संकर बीजों का चयन करना चाहिए।
उत्पादकता के अलावा, संकर बीजों में उच्च तापमान सहनशीलता भी होती है। अगर आप सही बीजों का चयन करते हैं तो आपकी पैदावार भी अच्छी होगी, जिससे आप अच्छा मुनाफा कमा पाएंगे।

किसान भाई उचित बीजों का उपचार करें
ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई में 20-25 किलोग्राम प्रति एकड़ मूंग लेना चाहिए, जिसे 3 ग्राम थायरम फफूंदनाशक दवा से प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करने से बीज और भूमि जन्य बीमारियों से फसल सुरक्षित रहती है।
इसके अलावा आप इफको की सागरिका, नैनो डीएपी से भी बीज उपचारित करा सकते हैं। इसके अलावा 600 ग्राम राइज़ोबियम कल्चर को किसी पात्र में लेकर 1 लीटर पानी में डाल दें। साथ ही 250 ग्राम गुड़ के साथ मिश्रित कर गर्म कर लें, जिसके ठंडा होने पर बीज को उपचारित कर छांव में सुखा लें और बुवाई कर दें।
किसान भाई सही उर्वरकों का प्रयोग करें
अगर संभव हो तो पहले मिट्टी का परीक्षण करें, ताकि आप आवश्यक उर्वरक और खाद डाल सकें। वैसे तो रबी के मौसम में मिट्टी में डाला गया उर्वरक कुछ हद तक मूंग की फसल के लिए कारगर होता है।
लेकिन, इसके बावजूद खेतों में कम से कम 5 से 10 टन गोबर या कम्पोस्ट जरूर डालें। इससे भविष्य की फसलों को भी फायदा होगा।
इसके अलावा, मूंग की खेती के दौरान 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम पोटेशियम, 25 किलोग्राम सल्फर और 5 किलोग्राम जस्ता का भी इस्तेमाल करें।
मूंग की सिंचाई का सही समय
दरअसल, ग्रीष्मकालीन मूंग को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। मूंग की फसल 25 से 40 डिग्री तक तापमान तक सहन कर सकती है।
हालांकि, यदि फूल आने की अवधि के दौरान सूखे की स्थिति में इसकी सिंचाई की जाए, तो उपज में काफी वृद्धि होगी।
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निष्कर्ष:
इस साल अप्रैल में मूंग की खेती शुरू करने से किसान बेहतर उपज और मुनाफा कमा सकते हैं, बशर्ते वे सही तरीके अपनाएं। खेत की सही तैयारी, उर्वरकों का उचित उपयोग, और संकर बीजों का चयन इस फसल की सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इसके अलावा, बीजों का उपचार और सिंचाई का सही समय भी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है। अगर किसान इन कृषि सलाहकारों के सुझावों का पालन करते हैं, तो वे न केवल अपनी पैदावार बढ़ा सकते हैं, बल्कि उच्च मुनाफा भी कमा सकते हैं।
इस प्रकार, मूंग की खेती एक लाभकारी विकल्प हो सकता है, बशर्ते किसान आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाकर फसल की देखभाल करें।
मुनाफे वाली फसलों और खेती की और अधिक जानकारी के भारत के किसान ब्लॉग पर आते रहिये।