लाख की खेती: लाख एक प्राकृतिक और व्यावसायिक महत्व का उत्पाद है, जो परंपरागत रूप से कीड़े से प्राप्त राल या रेज़िन है। भारत में लाख का इतिहास लगभग चार हजार वर्ष पुराना है, जिसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है, जब कौरवों ने पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह का निर्माण कराया था। लाख से प्राप्त लाल रंग का उपयोग प्राचीन काल से कपड़े रंगने में किया जा रहा है।
आज दुनियाभर में दो हजार से अधिक प्रकार के कीड़ों की पहचान हो चुकी है जो लाख का उत्पादन करते हैं। इस लेख में आप लाख की खेती और इसके उत्पादन की पूरी जानकारी पाएंगे।
लाख की खेती क्या है?
लाख एक प्राकृतिक राल है जिसे ‘केरिया लाका’ (केर) नामक छोटे कीट द्वारा उत्पन्न किया जाता है। यह कीट ‘केरेडेई’ परिवार से संबंधित है, जिसमें नौ जातियाँ पाई जाती हैं, जबकि लाख की प्रजातियों की संख्या 87 से 100 के बीच है। लाख उन लोगों के लिए आय का महत्वपूर्ण स्रोत है जो कृषि और लघु वन उत्पादों पर निर्भर हैं। यह परजीवी कीट मुख्य रूप से पलाश, कुसुम, बेर, खैर, डूमर, और बबूल के पेड़ों में पनपता है।
भारत में लाख की खेती (Lakh ki kheti) में ‘केरिया लैक्का’ कीट की दो नस्लों, कुसुमी और रंगीनी का उपयोग होता है। झारखंड इस क्षेत्र में सबसे बड़ा उत्पादक है, जो देश का 54.60% लाख उत्पादन करता है। अन्य प्रमुख राज्य जैसे छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और ओडिशा भी देश के लगभग 93% लाख उत्पादन में योगदान देते हैं।
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लाख की खेती का समय
लाख की दो फसलें उगाई जाती हैं: ग्रीष्मकालीन फसल और वर्षाकालीन फसल। ग्रीष्मकालीन फसल अक्टूबर से जुलाई के बीच तैयार होती है, जबकि वर्षाकालीन फसल जून से नवंबर के बीच तैयार हो जाती है।
लाख की खेती में कीट
भारत में लाख की खेती के लिए जीनस केरिया का कीट सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से पोषित कीट है। लाख का कीट नरम शरीर वाला, गोल और छोटा होता है।
लाख कीट अपने जीवन चक्र को छह महीनों में चार चरणों (अंडा, लार्वा, प्यूपा और वयस्क) में पूरा करता है। वयस्क नर की आयु केवल 3-4 दिन होती है, जबकि मादा लाख कीट अपेक्षाकृत लंबे समय तक जीवित रहती है।
लाख के कीट अपने मुंह से पेड़ की शाखाओं से रस चूसते हैं, और मादा कीट मेजबान पौधों की शाखाओं के चारों ओर लार (लाख) स्रावित करती है। यह स्रावित लार सूखने पर लाख के रूप में प्राप्त होती है।
लाख की खेती में ध्यान रखने वाली बातें
लाख की खेती में कई महत्वपूर्ण चरणों का पालन आवश्यक है। इसके मुख्य छह चरण निम्नलिखित हैं:
- उपयुक्त मेजबान पेड़ का चयन
- बिहान लाख का संचरण
- फूंकी लाख को हटाना
- लाख कीट के प्राकृतिक शत्रुओं से सुरक्षा
- लाख डंठल की कटाई
- टहनियों से कच्चे लाख का संग्रहण
लाख की खेती के लिए मेजबान स्थान का चयन खुले क्षेत्रों में करना चाहिए, जहाँ आग के प्रति संवेदनशीलता कम हो और हवा का प्रवाह सुचारू हो, जिससे मेजबान पौधों का विकास बेहतर हो सके।
जब नए क्षेत्रों में लाख की खेती की जाती है, तो लाख उत्पादन बढ़ाने के लिए लाख मेजबान पौधों की काट-छांट और संचारण आवश्यक होता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
लाख की खेती (Lac Cultivation) एक प्राचीन और लाभकारी प्रक्रिया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह प्राकृतिक राल ‘केरिया लाका’ नामक कीट से प्राप्त होती है, जो मुख्य रूप से पलाश, कुसुम, और बेर जैसे पेड़ों पर पनपती है। लाख उत्पादन के लिए झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और ओडिशा जैसे राज्य प्रमुख योगदान देते हैं।
लाख की खेती में उचित मेजबान पेड़ का चयन, कीट सुरक्षा, और सही समय पर फसल की कटाई जैसी तकनीकें फसल की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक होती हैं। आज, लाख की बढ़ती मांग के साथ, यह न केवल रोजगार का साधन है, बल्कि पारंपरिक खेती से जुड़कर भी इसकी महत्ता बढ़ रही है।
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